योग और अध्यात्म विज्ञान पर गंभीर पत्रकारिता की दिशा में एक ठोस पहल का प्रतिफलन है यह बेवसाइट। ऐसी पत्रकारिता की आवश्यकता शिद्दत से महसूस की जा रही थी। यह निर्विवाद है कि आज की अनेक समस्याओं की जड़ में व्यक्तिगत और सामाजिक असंतुलन है। समाज विज्ञानियों, अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों से लेकर वैज्ञानिक संतों तक ने इस विषय पर खूब अध्ययन किया। इनके निष्कर्षों से वैज्ञानिक संतों के इस विचार को बल मिला कि कोई दर्शन या विचारधारा इस असंतुलन को दूर करने में सक्षम नहीं है। इस समस्या से मुक्ति का कोई कारगर मंत्र है तो वह योग और अध्यात्म ही है।
आधुनिक विज्ञान जब मनुष्य से जुड़ी अनेक समस्याओं का समाधान देने में सफल नहीं हो पाया और अनुसंधानों से योग की गहराई का अंदाज लगा तो योग की स्वीकार्यता बढ़ती चली गई। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस इसका जीवंत उदाहरण है। इतने बदलावों से मीडिया बिल्कुल अप्रभावित कैसे रह सकता था? पर समग्रता में मूल्यांकन करने से पता चलता है कि प्रभाव सकारात्मक न होकर नकारात्मक है। विशुद्ध योग की जगह कसरती स्टाइल के वाटर योगा, फॉरेस्ट योगा, सेक्स योगा आदि मीडिया के प्रिय विषय होते हैं। इनके लिए पेज थ्री तक में जगह निकल आती है। प्राण के प्रबंधन और मन के प्रबंधन के लिए योग की ये अवैज्ञानिक विधियां सर्वथा अनुपयुक्त हैं। सच तो यह है कि शरीर का प्रबंधन भी नहीं हो पाता। नतीजतन, योग को लेकर भ्रम की स्थिति बनती है।
आधुनिक यौगिक पुनर्जागरण के प्रेरणास्रोत परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती कहते थे, “वेद का पुत्र तंत्र है और तंत्र का पुत्र योग है। तंत्र एक महान विद्या है।“ पर गलत दिशा मिल जाने से उसका हश्र हम सबके सामने है। इससे समाज ने काफी खोया। योग का हश्र भी अपने पिता (तंत्र) की तरह ही न हो जाए, इसके लिए पूरी गंभीरता से पत्रकारीय हस्तक्षेप की जरूरत है। इस बेवसाइट के जरिए तबीयत से एक पत्थर उझाला गया है। सकारात्मक सोच के साथ कर्म करना अपना धर्म है। फल की क्यों सोचें, जो अपने वश में नहीं है।
इस बेवसाइट के प्रमोटर और संपादक किशोर कुमार ने नब्बे के दशक में अपने कैरियर की शुरूआत पत्रकारिता से की थी। बीते एक दशक से योग विज्ञान पर नियमित रूप से लेखन करते हैं। कई समाचार पत्रों में योग विज्ञान से संबंधित कॉलम प्रकाशित होते हैं। वे विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती से दीक्षित हैं और मौजूदा समय में इंडियन योगा एसोसिएशन के सामान्य सदस्य भी हैं।