जब तुम्हें बताया जाए कि तुम अच्छे हो तो तुम्हें शिथिल नहीं होना चाहिए। बल्कि तुम्हें और अच्छा बनने की कोशिश करनी चाहिए। तुम्हारी लगातार उन्नति, तुम्हारे आसपास के लोगों को और ईश्वर को भी सुख प्रदान करती है।
परमहंस योगानंद
भृगुसंहिता में कहा गया है कि नियति का निर्माण पहले “काल” में होता है। यानी घटना पहले “काल” में घटती है। उसके बाद अंतरिक्ष में। फिर “देश” में। योगेंद्र जी के जीवन में भी कुछ ऐसा ही हुआ। कैसे? पढ़िए विस्तार से।
Kishore Kumar